फैराडे के विद्युत् अपघटन के नियम (Faraday's laws of electrolysis)

फैराडे के विद्युत् अपघटन के नियम (Faraday's laws of electrolysis)
माइकल फैराडे ने सन 1832 में  विद्युत् अपघटन का गहन अध्ययन किया और इलेक्ट्रोडो पर मुक्त उत्पादों की मात्रा व प्रवाहित विद्युत् धारा की मात्रा के बीच सम्बन्ध के लिए दो नियम दिए | इन्हे फैराडे के विद्युत् अपघटन के नियम कहते हैं | ये नियम निम्न हैं -

(1) फैराडे का  विद्युत् अपघटन का प्रथम नियम - 
विद्युत् अपघटन की प्रक्रिया में किसी इलेक्ट्रोड विशेष पर मुक्त या एकत्रित पदार्थ का द्रव्यमान विलयन में प्रवाहित की गयी विद्युत् धारा की मात्रा ( कुल आवेश ) के समानुपाती होता है |
 
यदि विलयन में विद्युत् (आवेश ) के Q कूलम्ब को प्रवाहित करने पर किसी इलेक्ट्रोड पर एक पदार्थ के W ग्राम मुक्त होते हैं , तो फैराडे के   विद्युत् अपघटन के  प्रथम नियम के अनुसार ,
         आवेश = विद्युत् धारा × समय
या ,       Q = I × t
या ,        W = Z × I × t
जहाँ Z एक स्थिरांक है , जिसे विद्युत् रासायनिक तुल्यांक कहते हैं |

(2) फैराडे का  विद्युत् अपघटन का द्वितीय  नियम -  
जब श्रेणीक्रम में जुड़े विभिन्न विद्युत् अपघट्यो के विलयनों में समान मात्रा में विद्युत् प्रवाहित की जाती है तो  इलेक्ट्रोडो पर मुक्त या एकत्रित पदार्थो के द्रव्यमान उनके तुल्यांक भारों के समानुपाती होते हैं |
      यदि समान विद्युत् को प्रवाहित करने पर प्राप्त पदार्थो के द्रव्यमान W1 तथा W2 हो एवं उनके तुल्यांक भार क्रमशः E1 तथा E2 हो तो फैराडे के  विद्युत् अपघटन के द्वितीय  नियम के अनुसार -
         W1   =   E1
        -------       -----
         W2         E2

या,
         Z1 IT             E1
        ---------    =      ---------
         Z2IT               E2

या

         Z1                E1
        ---------   =    ---------
         Z2                E2
या,
         E=F×Z
यहाँ , F एक स्थिरांक है,  जिसे  फैराडे स्थिरांक कहते हैं | इसका मान 96500 कूलम्ब होता है |

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