नाइट्रिक अम्ल ( Nitric acid )

      नाइट्रिक अम्ल(Nitric acid)
 इसे सर्वप्रथम ग्लॉबर ने सन 1658 में शोरे(पोटैशियम नाइट्रेट,KNO3) तथा सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण को गर्म करके बनाया था इसलिए इसे शोरे का अम्ल भी कहते हैं|

बनाने की विधि -

(1) प्रयोगशाला विधि-
प्रयोगशाला में नाइट्रिक अम्ल को पोटैशियम नाइट्रेट या सोडियम नाइट्रेट की सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया के द्वारा बनाया जाता है|
KNO3 + H2SO4 ----> KHSO4 + HNO3 

NaNO3 + H2SO4 ----> NaHSO4 + HNO3 

इस विधि में एक रिटॉर्ट में पोटेशियम नाइट्रेट या सोडियम नाइट्रेट तथा सल्फ्यूरिक अम्ल को लगभग बराबर मात्रा में लेकर गर्म करने पर नाइट्रिक अम्ल की वाष्प उत्पन्न होती है, जिसे ग्राही फ्लास्क  में ले जाकर ठंडा करने पर यह द्रव अवस्था में प्राप्त हो जाता है|

(2) औद्योगिक विधि -
ओस्टवाल्ड की विधि-

इस विधि में अमोनिया(1आयतन) तथा वायु(10 आयतन) के मिश्रण को एक उत्प्रेरक कक्ष में से प्रवाहित किया जाता है| उत्प्रेरक कक्ष का ताप लगभग 800°C होता है तथा इसमें प्लैटिनम की जालियां लगी होती हैं| प्लैटिनम उत्प्रेरक का कार्य करता है| इस ताप पर प्लैटिनम की उपस्थिति में अमोनिया की वायु की ऑक्सीजन के साथ निम्न अभिक्रिया होती है-
                       Pt/800°C 
4NH3 + 5O2 ---------------> 4NO + 6H2O 
इस प्रकार प्राप्त नाइट्रिक ऑक्साइड तथा शेष वायु के मिश्रण को एक ऑक्सीकारक स्तंभ में भेजा जाता है| ऑक्सीकारक स्तंभ में नाइट्रिक ऑक्साइड का नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकरण हो जाता है|
2NO + O2 ------> 2NO2 
इस प्रकार प्राप्त NO2 गैस को एक अवशोषण स्तंभ में प्रवाहित करके नाइट्रिक अम्ल बना लेते हैं|
2NO2 + H2O ----> HNO3 + HNO2
3HNO2 ----> HNO3 + 2NO + H2O 

भौतिक गुण-
(1) शुद्ध नाइट्रिक अम्ल एक रंगहीन द्रव है|
(2) प्रकाश की उपस्थिति में यह नाइट्रोजन के ऑक्साइडओं में धीरे-धीरे अपघटित होता रहता है इस कारण इसमें से धूम निकलते रहते हैं तथा इसकी गंध तीव्र होती हैं|
(3) यह जल में विलेय है|
(4) त्वचा पर यह अत्यंत पीड़ा दायक फफोलों का निर्माण करता है|
(5) इसका हिमांक 231.4K व क्वथनांक 355.6K है|
रासायनिक गुण-
(1) अम्लीय गुण-
यह एक प्रबल अम्लों की भांति व्यवहार करता है|
HNO3 + NaOH ----> NaNO3 + H2O 
(2) अपघटन-
साधारण ताप पर प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रिक अम्ल धीरे धीरे अपघटित होता रहता है व नाइट्रोजन परॉक्साइड(NO2)  गैस बनती है जो द्रव में घुलकर उसका रंग पीला कर देती है|
4HNO3 ----> 4NO2 + O2 + 2H2O 
(3) ऑक्सीकारक गुण-
नाइट्रिक अम्ल एक प्रबल ऑक्सीकारक है|यह अपघठित होकर नवजात ऑक्सीजन प्रदान करता है| यही नवजात ऑक्सीजन ऑक्सीकरण के लिए उत्तरदायी होता है| 
2HNO3 ----> 2NO +H2O + 3O 
अधातुओं का ऑक्सीकरण-
S + 6HNO3 -----> H2SO4 + 6NO2 + 2H2O

C + 4HNO3 -----> CO2 + 4NO2 + 2H2O

2P + 10HNO3 -----> 2H3PO4 + 10NO2 + 2H2O

I2 + 10HNO3 -----> 2HIO4 + 10NO2 + 4H2O

धातुओं का ऑक्सीकरण-
Mg + 2HNO3 -----> Mg(NO3)2 + H2 

Mn + 2HNO3 -----> Mn(NO3)2 + H2 

4Zn + 10HNO3 -----> 4Zn(NO3)2 + 3H2O + NH4NO3
 
4Fe + 10HNO3 -----> 4Fe(NO3)2 + 3H2O + NH4NO3
 
यौगिकों का ऑक्सीकरण-

3H2S + 2HNO3 -----> 2NO  + 4H2O + 3S 

6KI + 8HNO3 -----> 3I2 + 4H2O +6KNO3 + 2NO 

HNO3 के उपयोग -
(1) विभिन्न रासायनिक पदार्थ बनाने में
(2) प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में
(3) अम्लराज(3भाग HCl व 1 भाग HNO3) बनाने में
(4) उर्वरक बनाने में
(5) विस्फोटक पदार्थ बनाने में
(6) सिल्वर तथा गोल्ड के धातुकर्म तथा शुद्धिकरण में
(7) धातुओं के नाइट्रेट बनाने में जो फोटोग्राफी, रंगाई, छपाई आदि में काम आते हैं|
(8) औषधियों, इत्र, रंग, कृत्रिम रेशम आदि बनाने में 

सधूम्र नाइट्रिक अम्ल-
शुद्ध नाइट्रिक अम्ल में 100% HNO3 होता है लेकिन कुछ समय बाद इसके अपघटन के कारण इसमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड घुल जाती है| जिसके कारण इसका रंग पीला हो जाता है|
   सधुम्र नाइट्रिक अम्ल में नाइट्रिक अम्ल की प्रतिशतता लगभग 98% होती है तथा इसमें अधिक मात्रा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस घुली रहती है| नाइट्रोजन डाइऑक्साइड घुले रहने के कारण इसमें से धूम्र  निकलते रहते हैं| अतः इसे सधुम्र नाइट्रिक अम्ल कहते हैं|
HNO3 का परीक्षण 
भूरा वलय परीक्षण-
सांद्र H2SO4 की अल्प मात्रा की उपस्थिति में यह FeSO4 के जलीय विलयन के साथ भूरा वलय बनाता है| इस परीक्षण को वलय परीक्षण कहते हैं|
       इस परीक्षण का उपयोग नाइट्रेट आयन की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए भी किया जाता है|
6FeSO4 + 3H2SO4 + 2HNO3 --> 3Fe2(SO4)3 + 2NO + 4H2O 

FeSO4 + NO -----> FeSO4.NO(भूरा वलय) 

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