कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण ( Nomenclature of Carboxylic acids )

कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण 

(1) ऐलिफैटिक मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण -

(a) सामान्य विधि -
मोनो कार्बोक्सिलिक अम्लों के सामान्य नाम प्रकृति में उनकी प्राप्ति के स्रोत पर आधारित होते हैं जैसे HCOOH  को फार्मिक अम्ल कहा जाता है, क्योंकि यह सर्वप्रथम लाल चीटियों (लैटिन में फॉरमिका का अर्थ लाल चींटी होता है) से प्राप्त किया गया था| ऐसीटिक (CH3COOH)  को यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह सिरके (लैटिन में एसिटम का अर्थ सिरका होता है) से प्राप्त किया गया था| इसी प्रकार CH3CH2CH2COOH को ब्यूटाइरिक अम्ल नाम दिया गया क्योंकि इसकी उत्पत्ति मक्खन (लैटिन में ब्यूटाइरम का अर्थ मक्खन होता है) से हुई थी|
           सामान्य विधि में श्रृंखला में उपस्थित प्रतिस्थापनों का स्थान ग्रीक अक्षर अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है| कार्बोक्सिलिक समूह से अगले कार्बन परमाणु को अल्फा तथा इसके बाद के कार्बन परमाणु को बीटा,गामा, डेल्टा आदि नाम निम्न प्रकार दिए जाते हैं-


(b) I. U. P. A. C. पद्धति -
इस पद्धति में मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों को एल्केनोइक अम्ल नाम दिया जाता है| किसी अम्ल का नाम संगत मूल एल्केन के नाम से अंतिम 'e' को अनुलग्न 'ओइक अम्ल' के द्वारा प्रतिस्थापित कर लिखा जाता है|
                 -e 
Alkane ------------> Alkanoic acid
                +al  

जैसे -
HCOOH   Methanoic acid 
CH3COOH   Ethanoic acid 
CH3CH2CH2COOH   Butanoic acid 

(2) ऐलिफैटिक डाईकार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण -
डाईकार्बोक्सिलिक अम्लों के सामान्य नाम उनकी उत्पत्ति के स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं|
 आईयूपीएसी पद्धति में डाईकार्बोक्सिलिक  का नाम एल्केनडाईओइक अम्ल (alkanedioic acid) दिया जाता है|
जैसे -
COOH 
 |             Ethane-1,2-dioic acid 
COOH 

CH2COOH 
 |               Butane-1,4-dioic acid 
CH2COOH 

(3) ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण -

सरलतम मोनोकार्बोक्सिलिक ऐरोमैटिक अम्ल C6H5COOH है | सामान्य तथा I. U. P. A. C. पद्धति में इसे बेंजोइक अम्ल के नाम से पुकारा जाता है| यह उन अन्य  मोनोकार्बोक्सिलिक ऐरोमैटिक अम्ल का जनक माना जाता है, जिनमें -COOH  समूह बेंजीन रिंग से सीधा जुड़ा होता है| प्रतिस्थापित अम्लों का नाम लिखने के लिए मूल अम्ल के नामों में प्रतिस्थापन के नामों को पूर्व लग्न के रूप में लिखा जाता है तथा उनके स्थान को उचित अंकों या अनुलग्न ऑर्थ्रो (o-, स्थान 1व 2  के लिए), मेटा(m-, स्थान 1 व 3 के लिए) या पैरा(p-, स्थान 1 व 4 के लिए) के द्वारा व्यक्त करते हैं|


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