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Showing posts from September, 2020

ऐल्डिहाइड व कीटोन के भौतिक गुण (Physical proerties of aldehydes and ketones )

ऐल्डिहाइड व कीटोन के भौतिक गुण (Physical proerties of aldehydes and ketones ) ऐल्डिहाइड व कीटोन के कुछ महत्वपूर्ण भौतिक गुण निम्न है- (1) भौतिक अवस्था - फॉर्मेल्डिहाइड साधारण ताप पर गैस होता है जबकि एसिटेल्डिहाइड द्रव होता है| इनके अतिरिक्त C11 तक के अन्य सभी एल्डिहाइड रंगहीन द्रव होते हैं, जबकि उच्च सदस्य ठोस होते हैं|        C11 तक के सभी कीटोन रंगहीन द्रव होते हैं, जबकि उच्च सदस्य ठोस होते हैं| (2) गंध - निम्न एल्डिहाइड की अरुचिकर गंध होती है परंतु अणुभार बढ़ने के साथ-साथ गंध रुचिकर होती जाती है| कीटोन की सामान्यत: रुचिकर गंध होती है| उच्च कीटोन  की गंध इतनी रुचिकर होती है कि इनमें से कुछ कीटोन का प्रयोग गंध द्रव्य के रूप में किया जाता है| (3) ध्रुवीय प्रकृति- एल्डिहाइड तथा कीटोन में उपस्थित कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है| इसलिए एल्डिहाइड व कीटोन ध्रुवीय यौगिक होते हैं| (4) विलेयता- चार कार्बन परमाणु तक के निम्न एल्डिहाइड तथा कीटोन जल में विलेय होते हैं| कार्बोनिल समूह से लगे एल्किल समूह का आकार बढ़ने के साथ-साथ इनकी जल में विलेयता  तीव्रता से घटती है| 5 या अधिक कार्बन परमाणु युक्त

ऐरोमेटिक ऐल्डिहाइड और कीटोन के निर्माण की सामान्य विधियां

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ऐरोमेटिक ऐल्डिहाइड और कीटोन के निर्माण की सामान्य विधियां (A) ऐरोमेटिक ऐल्डिहाइड का निर्माण- ऐरोमेटिक ऐल्डिहाइड के निर्माण की निम्न विधियाँ हैं - (1) ऐल्किल बेंजीन के ऑक्सीकरण द्वारा - 👉एसिटिक ऐनहाइड्राइड की उपस्थिति में CrO3 के द्वारा ऑक्सीकरण - एल्किल बेंजीन का एसिटिक ऐनहाइड्राइड की उपस्थिति में CrO3 के द्वारा ऑक्सीकरण से ऐरोमैटिक एल्डीहाइड प्राप्त होते हैं | 👉 CCl4 की उपस्थिति में CrO2Cl2 के द्वारा ऑक्सीकरण -  बैन्जेल्डीहाइड को CCl4 या CS2 में CrO2Cl2 के द्वारा टॉलूईन के ऑक्सीकरण द्वारा बनाया जा सकता है| यह अभिक्रिया  इटार्ड अभिक्रिया  कहलाती है | (2) रीमर - टीमन अभिक्रिया द्वारा - यह विधि फिनॉलिक एल्डिहाइड के बनाने के लिए प्रयोग की जाती है तथा इसमें किसी फिनॉल की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ जलीय क्षार  की उपस्थिति में 340 K पर कराई जाती है इसके पश्चात तनु अम्ल के द्वारा जल अपघटन कराया जाता है जैसे- (3) गैटरमैन- कोच अभिक्रिया द्वारा - जब बेंजीन की CO तथा HCl गैस के साथ निर्जल AlCl3 या CuCl  की उपस्थिति में अभिक्रिया कराई जाती है तो बेन्ज़ेलडिहाइड प्राप्त होता है| (B) ऐरोमेटिक कीटो

ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइड व कीटोन के निर्माण की सामान्य विधियां

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ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइड व कीटोन के निर्माण की सामान्य विधियां (1) एल्कोहॉल से - (a) ऑक्सीकरण के द्वारा - अल्कोहल का अम्लीय K2Cr2O7 या KMnO4  के द्वारा नियंत्रित ऑक्सीकरण करने पर एल्डिहाइड व कीटोन बनते हैं|   👉  एल्डिहाइड प्राथमिक अल्कोहल के नियंत्रित ऑक्सीकरण के द्वारा बनते हैं जैसे-                           K2Cr2O7/H2SO4 CH3CH2OH +O  ---------------------->  CH3CHO + H2O  इस प्रकार बने एल्डिहाइडों को कार्बोक्सिलिक अम्लों में ऑक्सीकृत होने से पहले ही आसवन विधि द्वारा अलग कर लिया जाता है| 👉 द्वितीयक अल्कोहल का अम्लीय K2Cr2O7 या KMno4 के द्वारा ऑक्सीकरण करने पर कीटोन प्राप्त होते हैं जैसे-                           K2Cr2O7/H2SO4 CH3CHOHCH3 +O  ----------------->  CH3COCH3 + H2O  (b) ऐल्कोहल के उत्प्रेरकीय विहाइड्रोजनीकरण के द्वारा- एल्डिहाइड तथा कीटोन को ऐल्कोहल के उत्प्रेरकीय विहाइड्रोजनीकरण के द्वारा बनाया जा सकता है| इसके अंतर्गत उचित ऐल्कोहल की वाष्प को अपचयित कॉपर के ऊपर 573K  पर प्रवाहित किया जाता है| 👉 एल्डिहाइड को प्राथमिक ऐल्कोहल के उत्प्रेरकीय विहाइड्रोजनीकरण के द्वारा प्र

कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण ( Nomenclature of Carboxylic acids )

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कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण  (1) ऐलिफैटिक मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण - (a) सामान्य विधि - मोनो कार्बोक्सिलिक अम्लों के सामान्य नाम प्रकृति में उनकी प्राप्ति के स्रोत पर आधारित होते हैं जैसे HCOOH  को फार्मिक अम्ल कहा जाता है, क्योंकि यह सर्वप्रथम लाल चीटियों (लैटिन में फॉरमिका का अर्थ लाल चींटी होता है) से प्राप्त किया गया था| ऐसीटिक (CH3COOH)  को यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह सिरके (लैटिन में एसिटम का अर्थ सिरका होता है) से प्राप्त किया गया था| इसी प्रकार CH3CH2CH2COOH को ब्यूटाइरिक अम्ल नाम दिया गया क्योंकि इसकी उत्पत्ति मक्खन (लैटिन में ब्यूटाइरम का अर्थ मक्खन होता है) से हुई थी|            सामान्य विधि में श्रृंखला में उपस्थित प्रतिस्थापनों का स्थान ग्रीक अक्षर अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है| कार्बोक्सिलिक समूह से अगले कार्बन परमाणु को अल्फा तथा इसके बाद के कार्बन परमाणु को बीटा,गामा, डेल्टा आदि नाम निम्न प्रकार दिए जाते हैं- (b) I. U. P. A. C. पद्धति - इस पद्धति में मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों को एल्केनोइक अम्ल नाम दिया जाता है| किसी अम्ल

कीटोनों का नामकरण -(Nomenclature of Ketones)

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कीटोनों का नामकरण  -(Nomenclature of Ketones)- कीटोनों के नामकरण की मुख्यतः दो विधियाँ हैं - (1) साधारण पद्धति  (2) I. U. P. A. C. पद्धति  (1) साधारण पद्धति - साधारण पद्धति में कीटोनो का नामकरण कीटो समूह से जुड़े एल्किल या एरिल  समूहों के नामों में कीटोन शब्द जोड़कर करते हैं| सरल या सममित कीटोनों का नामकरण डाई एल्किल (या एरिल) कीटोन के रूप में किया जाता है| असममित या मिश्रित कीटोनों के नामकरण में एल्किल या ऐरील समूहों को अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में लिखकर कीटोन शब्द जोड़ते हैं| प्रथम सदस्य को एसीटोन कहते हैं| जैसे - CH3COCH3   डाईमेथिल कीटोन  CH3COC2H5   एथिल  मेथिल कीटोन  C2H5COC2H5   डाईएथिल कीटोन  (2) I. U. P. A. C. पद्धति - इस पद्धति में कीटोनों का नामकरण एल्केनोन(alkanone)  के रूप में किया जाता है|                     -e Alkane ------------------> Alkanone                   +one  जैसे -  CH3-CO-CH3   प्रोपेन -2-ओन  Cl-CH2-CO-CH3                           1-क्लोरोप्रोपेन -2-ओन  कुछ एलिफैटिक तथा एरोमैटिक कीटोनों के सामान्य तथा आईयूपीएसी नाम निम्नलिखित हैं-   एरोमेटिक कीटोन जिनमें क

एल्डिहाइडों का नामकरण (Nomenclature of Aldehydes )

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एल्डिहाइडों का नामकरण  (Nomenclature of Aldehydes ) एल्डिहाइड निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-  (1) ऐलिफेैटिक एल्डिहाइड तथा  (2) एेरोमेैटिक एल्डिहाइड (1) एेलिफेैटिक एल्डिहाइडों की नाम पद्धति -  एेलिफेैटिक एल्डिहाइडों का नाम रखने की निम्नलिखित दो पद्धतियां हैं- (a) साधारण पद्धति-    साधारण पद्धति में एल्डिहाइडों के नाम उन अम्लों से प्राप्त होते हैं, जिनमें ये ऑक्सीकरण के दौरान परिवर्तित होते हैं| नामकरण में अम्ल के नाम से -इक अम्ल  हटाकर एेल्डिहाइड जोड़ते हैं|                     - इक अम्ल  CH3COOH --------------> CH3CHO                     + एेल्डिहाइड  प्रतिस्थापी एल्डिहाइड के नामकरण में जनक श्रृंखला पर उपस्थित प्रतिस्थापियों  की स्थिति ग्रीक अक्षर अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि से प्रदर्शित करते हैं| एल्डिहाइड में कार्बोनिल समूह के समीपस्थ कार्बन परमाणु अल्फा कार्बन परमाणु तथा श्रृंखला में अगला परमाणु बीटा कार्बन परमाणु कहलाता है|   (B) I.U.P.A.C.पद्धति - इस पद्धति में एल्डिहाइडों को एल्केनल(alkanal) कहते हैं| इनका नामकरण संगत एल्केन के नाम के अंत से -e हटाकर तथा -अल (-al) जोड़कर

एल्डिहाइडों,कीटोनों व कार्बोक्सिलिक अम्लों का वर्गीकरण

एल्डिहाइडों,कीटोनों व कार्बोक्सिलिक अम्लों का वर्गीकरण   (A) एल्डिहाइडों का वर्गीकरण - एल्डिहाइडों को उनमें उपस्थित कार्बन की श्रृंखला के आधार पर दो भागों में बांटा जाता है- (a) ऐलिफैटिक एल्डिहाइड   (b)ऐरोमैटिक एल्डिहाइड   (a) ऐलिफैटिक एल्डिहाइड  -  ऐसे एल्डिहाइड जिनमें -CHO समूह ऐलिफैटिक कार्बन श्रृंखला से जुड़ा होता है, उन्हें ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइड कहा जाता है| जैसे - CH3CH2CHO  (b)ऐरोमैटिक एल्डिहाइड- ऐसे एल्डिहाइड जिनमें कम से कम एक बेंजीन रिंग अवश्य उपस्थित होती है उन्हें एरोमेटिक एल्डिहाइड कहा जाता है|  एरोमेटिक एल्डिहाइड निम्न दो प्रकार के होते हैं- (1) ऐसे एल्डिहाइड जिनमें -CHO  समूह सीधे बेंजीन रिंग से जुड़ा होता है| (2) ऐसे एल्डिहाइड जिनमें -CHO  समूह बेंजीन रिंग कि किसी पार्श्व श्रृंखला से जुड़ा होता है| इन्हे एरिल एल्किल एल्डिहाइड भी कहा जाता है|   -------------------------------------------------- (B) कीटोनो  का वर्गीकरण - कीटोनों में -CO  समूह से लगे एल्किल या एरिल समूहों के आधार पर निम्न दो भागों में बांटा जाता है-  (1)सममित कीटोन या सरल कीटोन  (2)असममित कीटोन या मिश्रित कीट