एल्कोहॉलों के रासायनिक गुण(Chemical properties of alcohols )
एल्कोहॉलों के रासायनिक गुण
(Chemical properties of alcohols )-
सामान्यतः एल्कोहॉलों की क्रियाओं को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(A) अभिक्रियायें जिनमें O-H आबंध का विदलन होता है
(B) अभिक्रियायें हैं जिनमें C-OH आबंध का विदलन होता है
(C) एल्किल तथा हाइड्रॉक्सिल दोनों समूहों की निहित अभिक्रियाये
(A) अभिक्रियायें जिनमें O-H आबंध का विदलन होता है
(1) ऐल्कोहॉल का अम्लीय लक्षण -
ऐल्कोहॉल दुर्बल अम्ल की तरह व्यवहार दर्शाते हैं और अल्प मात्रा में निम्न प्रकार आयनित होते हैं -
R-O-H <=> R-O´ + H+
CH3-O-H <=> CH3-O´ + H+
ऐल्कोहॉल की अम्लीय प्रकृति O-H बंध की ध्रुवीयता के कारण है| अधिक विद्युत ऋणात्मक होने के कारण O परमाणु O-H बंध के साझा इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर खींचता है| इस कारण साझा इलेक्ट्रॉन युग्म O परमाणु की ओर विस्थापित हो जाता है तथा O-H बंध दुर्बल हो जाता है| परिणाम स्वरूप अणु से प्रोटोन(H+) का निकलना सरल हो जाता है| इस कारण ऐल्कोहॉल दुर्बल अम्ल की भांति व्यवहार करते हैं| इनकी अम्लीय प्रबलता जल की तुलना में कम होती है|
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक अल्कोहल की अम्लीय प्रबलता का क्रम निम्न होता है -
R-OH > R2-OH > R3-OH
(2) धातुओं के साथ क्रियायें -
ऐल्कोहॉल सक्रिय धातु जैसे सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एलुमिनियम आदि से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करता है तथा निर्मित यौगिक ऐल्कॉक्साइड कहलाते हैं|
2CH3OH + 2Na ------> 2CH3ONa +H2
2CH3CH2OH + Mg ------> (CH3CH2O)2Mg +H2
(3) धात्विक हाइड्राइडों से क्रिया-
ऐल्कोहॉल धात्विक हाइड्राइडों से क्रिया करके ऐल्कॉक्साइड बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है|
CH3OH + NaH ------> CH3ONa +H2
CH3CH2OH + NaH ------> CH3CH2ONa +H2
(4) कार्बोक्सीलिक अम्लों के साथ क्रिया ( एस्टरीकरण )-
ऐल्कोहॉल कार्बोक्सीलिक अम्ल से क्रिया करके एस्टर बनाते हैं| इस प्रक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं| यह उत्क्रमणीय क्रिया होती है तथा इसे उपयुक्त उत्प्रेरक (सांद्र H2SO4, शुष्क HCl गैस आदि) की उपस्थिति में कराते हैं|
CH3-COOH + HOC2H5 <====> CH3-COOC2H5 + H2O
जब HCl गैस का प्रयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है तब यह क्रिया फिशर-स्पीयर एस्टरीकरण कहलाती है|
(5) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक के साथ क्रिया-
ऐल्कोहॉल ग्रिगनार्ड अभिकर्मक से क्रिया करके एल्केन बनाते हैं|
CH3O-H + C2H5-MgBr -----> C2H6 + Mg(OCH3)Br
(6) अम्ल क्लोराइड से क्रिया (ऐसीलीकरण)-
ऐल्कोहॉल क्षारीय उत्प्रेरक जैसे पिरिडीन की उपस्थिति में अम्ल क्लोराइड से क्रिया करके एस्टर बनाते हैं| यह अभिक्रिया ऐसीलीकरण कहलाती है क्योंकि इसमें -OH समूह के H परमाणु का विस्थापन
|
[ R-C=O] समूह द्वारा होता है |
पिरिडीन
RCOCl + H-O-R ---------> RCOOR + HCl
(B) अभिक्रियायें हैं जिनमें C-OH आबंध का विदलन होता है-
(1) हैलोजन अम्लों की क्रिया-
अल्कोहल हैलोजन अम्ल से क्रिया करके हैलोएल्केन तथा जल बनाते हैं| हैलोजन अम्लों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न है-
HI > HBr > HCl
(A) HCl के साथ क्रिया-
कम क्रियाशीलता के कारण 1° तथा 2°अल्कोहलों तथा HCl की क्रिया के लिए कुछ उत्प्रेरक (निर्जल ZnCl2) की आवश्यकता होती है लेकिन 3° अल्कोहलों की क्रिया के लिए उत्प्रेरक की आवश्यकता नहीं होती है|
CH3CH2OH + HCl ------> CH3CH2Cl +H2O
(B) HBr के साथ क्रिया-
प्राथमिक अल्कोहलों के लिए उत्प्रेरक के रूप में सांद्र H2SO4 की सूक्ष्म मात्रा की आवश्यकता होती है जबकि द्वितीयक तथा तृतीयक अल्कोहलों के लिए सांद्र H2SO4 की आवश्यकता नहीं होती है|
सांद्र H2SO4
CH3CH2OH + HBr ---------------> CH3CH2Br +H2O
(C) HI के साथ क्रिया-
एल्किल आयोडाइड बनते हैं|
CH3CH2OH + HI ------> CH3CH2I +H2O
(2) फास्फोरस हैलाइडों के साथ क्रिया-
फास्फोरस हैलाइड जैसे- PCl5, PCl3, PBr3 अल्कोहलों से क्रिया करके संगत हैलोएल्केन या एल्किल हैलाइड बनाते हैं|
CH3CH2OH + PCl5 ------> CH3CH2Cl + POCl3 + HCl
3CH3OH + PCl3 ------> 3CH3Cl +H3PO3
(3) थायोनिल क्लोराइड के साथ क्रिया-
थायोनिल क्लोराइड की पिरीडीन की उपस्थिति में अल्कोहल से क्रिया कराने पर क्लोरो एल्केन बनते हैं|
CH3CH2OH + SOCl2 ------> CH3CH2Cl +HCl + SO2
(4) अमोनिया के साथ क्रिया-
अल्कोहल तथा अमोनिया की वाष्पों के मिश्रण को 633 K पर गर्म एलुमिना (Al2O3) पर प्रवाहित करने पर प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐमीनों का मिश्रण प्राप्त होता है|
CH3CH2OH + NH3 ------> CH3CH2NH2 +H2O
CH3CH2NH2 +CH3CH2OH-----> (CH3CH2)2NH +H2O
(CH3CH2)2NH +CH3CH2OH---> (CH3CH2)3N +H2O
(C) एल्किल तथा हाइड्रॉक्सिल दोनों समूहों की निहित अभिक्रियाये -
(1) निर्जलीकरण -
किसी यौगिक से एक जल अणु का निष्कासन निर्जलीकरण कहलाता है| अल्कोहल का निर्जलीकरण सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करके किया जाता है|
(a) एल्कीन का निर्माण - ताप 443K पर
H OH
| | सांद्र H2SO4
H-C-C-H -------> CH2=CH2 +H2O
| | 443K
H H
(a) ईथर का निर्माण - ताप 413K पर
सांद्र H2SO4
2CH3CH2OH-------> C2H5-O-C2H5 + H2O
(2) ऑक्सीकरण -
अल्कोहल के ऑक्सीकरण पर कार्बोनिल यौगिकों का निर्माण होता है -
(a) प्राइमरी ऐल्कोहल -
प्राइमरी अल्कोहल अम्लीय Na2Cr2O7 या K2Cr2O7, अम्लीय KMnO4 आदि के साथ सरलता पूर्वक ऑक्सीकृत हो जाते हैं| ऑक्सीकरण पर पहले एल्डिहाइड तत्पश्चात एक कार्बोक्सिलिक अम्ल का निर्माण होता है|
O O
CH3CH2OH -----> CH3CHO -----> CH3COOH
(b) सेकेंडरी ऐल्कोहल -
सेकेंडरी अल्कोहल अम्लीय Na2Cr2O7 आदि ऑक्सीकारक पदार्थों के साथ आसानी से ऑक्सीकृत होकर कीटोन बनाते हैं जिन में कार्बन परमाणु की संख्या पैतृक अल्कोहल के समान होते हैं| बाद में कीटोन की ऑक्सीकरण से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनते हैं|
CH3-CHOHCH3 --->CH3COCH3 -------> CH3COOH + HCOOH
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